कुशीनगर :: मुख्यमंत्री जी! बिना कार्य किये तीन शिक्षक सरकारी खजाने के डकार गये लाखों रुपये, कब होगी कार्यवाही

🔴 गंगा कनोडिया इंटर कालेज कप्तानगंज के शिक्षकों देवेन्द्र, वीरेंद्र और श्यामनरायण द्वारा बिना कार्य किये लाखो रुपये डकारने का मामला।
🟣 भ्रष्टाचार अन्वेषण एवं मानवाधिकार उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी व एसटीएफ लखनऊ को पत्र भेजकर बिना अध्यापन कार्य किये बगैर लाखों रुपये सरकारी खजाना के डकारने को लेकर जांच कर कार्यवाही की मांग किया है।
🟣 सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय की बीएड की फर्जी डिग्री व इनके खिलाफ निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा किये सेवा समाप्ति को लेकर भ्रष्टाचार अन्वेषण एवं मानवाधिकार उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी व एसटीएफ लखनऊ को पत्र भेजकर जांच कर कार्यवाही मांग किया है।
आदित्य प्रकाश/सतेन्द्र पाण्डेय, कुशीनगर केसरी, कुशीनगर। मुख्यमंत्री जी। दो वर्ष बिना कार्य किये हीं जनपद के कप्तानगंज स्थित गंगा कनोडिया इंटर कालेज के शिक्षक देवेन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र पाण्डेय और श्यामनरायण सरकारी खजाने के लाखों रुपये गटक गये हैं। यकीन न हो तो तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक यू0पी0 मिश्रा की रिपोर्ट और विद्यालय का मूल उपस्थिति पंजिका की जांच करा लिजिए, दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जायेगा। इतना हीं नहीं ये शिक्षक यहीं नहीं रुके उन्होंने तो तथ्य गोपन कर वर्ष 2018 में अपना विनियमितकरण भी करा लिया है। जबकि जुलाई 2012 से मार्च -2014 तक (जब इनके द्वारा विद्यालय में आध्यापन कार्य नहीं किया गया) का भुगतान वर्ष 2025 मे फर्जी तरीके से तथ्यों को छुपाकर प्राप्त किया गया है। अभी बात यहीं खत्म नहीं होती है। जांच में देवेन्द्र पाण्डेय की डिग्री फर्जी पाये जाने के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय पाण्डेय द्वारा इनकी की गयी सेवा समाप्ति के बावजूद न्यायालय व उच्चाधिकारियों को गुमराह करके यह नौकरी मे बने हुए हैं जिसकी एसटीएफ से जांच करा दी जाए तो सबकी पोल खुल जायेगी।
गौरतलब हो कि वर्ष 1999 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक ने जनपद में बिना पद के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के नियुक्ति की शिकायत मिलने पर वेतन भुगतान रोक दिया था। इससे क्षुब्ध होकर कप्तानगंज इंटर कॉलेज के इन शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाए योजित किया जो आगे चलकर एक याचिका 39088/2007 के साथ सम्बद्ध होकर आदेश पारित हुआ। आदेश में कहा गया कि जो शासनादेश के अन्तर्गत आने वाले शिक्षक नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं उनसे कार्य कराते हुए शानादेश में शामिल शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान इस सत्यापन के साथ किया जाए कि वह विद्यालय में नियमित रुप से अध्यापन कर रहे हैं। सूत्रो की माने तो न्यायालय के इस आदेश के बाद इन शिक्षको ने खेला शुरू किया और विद्यालय के प्रबंधक व प्रधानाचार्य को किसी तरह से प्रलोभन देकर विद्यालय के मूल उपस्थिति रजिस्टर पर बीते दो वर्षो का नाम अंकित कराकर हस्ताक्षर बनाने का प्रयास किया किन्तु विद्यालय के प्रबंधक और प्रधानाचार्य सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र पाण्डेय व श्याम नरायण के प्रभाव व प्रलोभन मे नही आये। सूत्रो ने बताया कि इसके बाद इन शिक्षको ने कूटरचित तरीके से एक उपस्थिति पंजिका तैयार कर दो वर्ष के अपने अनुपस्थित कार्यकाल को एक हीं दिन में नियमित कर दिया।
🛑 काम नहीं तो दाम नहीं के आधार पर निदेशक ने किया खारिज……. न्यायालय के आदेश के बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक डाॅ. महेन्द्र देव ने तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक उदय प्रकाश मिश्र से इन सभी शिक्षकों के नियमित उपस्थिति का सत्यापन करने का आदेश दिया जिसके अनुपालन मे तत्कालीन डीआईओएस ने शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट भेजी। शिक्षा निदेशक ने अपने आदेश मे स्पष्ट लिखा है कि जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा उपलब्ध कराये गये आख्या व अभिलेखों के अनुसार संस्था के उपस्थिति पंजिका मे जुलाई – 2012 से मार्च 2014 तक इन शिक्षकों का हस्ताक्षर अंकित नहीं पाया गया। जिसके कारण नियमित उपस्थिति की पुष्टि नही हो रही है, इसलिए शिक्षकों के प्रमाणित उपस्थिति न होने के कारण नो वर्क नो पे के सिद्धांत पर अवशेष भुगतान किया जाना नियम संगत नहीं है।
🛑 प्रबंधक व प्रधानाचार्य को मिलाकर किया तथ्यगोपन……. सूत्र बताते है कि शिक्षा निदेशक द्वारा इन शिक्षको के नो वर्क नो पे के आधार पर भुगतान नही किये जाने के आदेश के बाद इन शिक्षको ने विद्यालय के प्रबंधक और प्रधानाचार्य को मोटी कमीशन देकर नियमित उपस्थिति का रिपोर्ट अपने पक्ष मे लगवा लिया जो पहले इन शिक्षको के नियमित उपस्थिति के विरुद्ध अपनी आख्या तत्कालीन डीआईओएस उदय नरायण मिश्र को दिये थे। सूत्रो का दावा है कि इन शिक्षको का आज भी मूल उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर नही है। निष्पक्ष जांच हो जाये तो इन शिक्षको की नियमित उपस्थिति की पोल खुल जायेगी। कहना न होगा कि तथ्य गोपन कर सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय ने 899907 रुपये, वीरेंद्र पाण्डेय 910407 रुपये व श्याम नरायण पाण्डेय ने 899907 रुपये जुलाई – 2012 से मार्च – 2014 तक विद्यालय मे बिना अध्यापन कार्य किये (जिनकी मूल उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर नही है) वेतन वर्ष 2025 एरियर के रुप में प्राप्त कर चुके है।
🛑 जांच में पाया गया था देवेन्द्र का फर्जी डिग्री……. वहीं कहना ना होगा कि बीते दिनो युगान्धर टाइम्स ने बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक की सेवा समाप्ति के बाद तथ्य गोपन नौकरी कर रहे शिक्षक का मामला उठाया था, वह शिक्षक कोई और नही देवेन्द्र पाण्डेय है जो गंगा कनोडिया इंटर कालेज कप्तानगंज मे सहायक अध्यापक है। डीआईओएस ने खबर को सज्ञान में लेकर शिक्षक को साक्ष्य के साथ अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा था। सूत्र बताते है कि देवेन्द्र पाण्डेय द्वारा संतुष्टपूर्ण तथ्य व साक्ष्य प्रस्तुत न कर पाने के कारण जिला विद्यालय निरीक्षक जल्द ही देवेन्द्र पाण्डेय को अपना पक्ष रखने के लिए पुनः नोटिस भेजने वाले है। यहा बताना जरूरी है कि देवेन्द्र पाण्डेय का बीएड का डिग्री उस विश्व विद्यालय से जिसे यूजीसी ने फर्जी घोषित किया है, इस विश्व विद्यालय की न तो यूजीसी मे रजिस्ट्रेशन है और न ही शासन से मान्यता प्राप्त है।
वहीं भ्रष्टाचार अन्वेषण एवं मानवाधिकार उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व एसटीएफ लखनऊ को पत्र भेजकर गंगा कनोडिया इंटर कालेज के सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय की बीएड की फर्जी डिग्री व इनके खिलाफ निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा किये सेवा समाप्ति के अलावा जुलाई 2012 से मार्च 2014 तक बिना अध्यापन कार्य किये बगैर लाखो रुपये सरकारी खजाना डकारने वाले शिक्षकों की निष्पक्ष जांचकर कार्यवाही करने की मांग किया है।