इंसान के असफलता का एक हीं कारण है अधर्म व असत्य के पथों पर चलना

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पृथ्वी पर जीवन लीला का आंनद उठाने के लिए ईश्वर ने बुद्धजीवी इंसान का चयन किया तथा उसको जगत के कल्याण के लिए एवं धर्म के प्रचार के लिए जन्म दिया।
ईश्वर ने इंसान का जन्म कई कुल खानदान तथा अनेको धर्म वर्गों में दिया। परन्तु प्रत्येक धर्मो का एक हीं रास्ता चुना जो सत्य के मार्ग पर चलता है। अर्थात धर्म कोई भी हो प्रत्येक ग्रन्थ पुराण वेद शास्त्र कुरान का एक हीं रास्ता ईश्वर ने बनाया जो आस्था के नाम से प्रसिद्ध प्रत्येक में हुआ और सभी धर्म गुरुओं को एक ही शिक्षा मिली की असत्य से दूर रहकर ईश्वर की सेवा करना तथा जगत कल्याण के लिए लोगों का उपकार करते रहना। परन्तु आज के परिवेश में इंसान अधर्म और असत्य के पथ पर चलकर स्वयं का हीं नहीं अपितु परिवार और कुल खानदान सहित पीढ़ी दर पीढ़ी को तबाह कर रहा है। इंसान यह भूल चुका है कि उसका इस धरती पर मात्र शरीर के सिवाय कुछ नही स्वयं का है। उसे एक दिन ईश्वर के दरबार मे सब मोह माया को त्याग कर जाना है। परन्तु फिर भी इंसान बुद्धजीवी होकर भी यह भूल चुका है एवं वह एक दूसरे मित्र, परिवार तथा रिश्तेदार के लिए झूठ पर झूठ बोलता जा रहा है तथा अपने मन की तृप्ति के लिए असत्य व अधर्म का पथ पकड़कर एक दूसरे को हानि पहुचाते हुए निम्न अपराधों को दावत देकर एक दिन परिवार और खानदान से दूर होते हुए पीढ़ी दर पीढ़ी कलंक का भागी बनता जा रहा है तथा लालच से फलीभूत होकर अपना व अपने परिवार का सर्वनाश होते आँखों के सामने देख रहा है। आज सत्य के राह को छोड़कर जो भी इंसान असत्य के पथ पर चल रहा है उसका परिवार एक दिन भी चैन की नींद नहीं सो पा रहा है क्योंकि उसको डर है कि वह सत्कर्म से हटकर कुकर्म के राह को अपनाया है जो किसी भी वक्त काल की तरह मंडरा सकता है। ईश्वर की माया तथा उसके समय की मार से कोई भी इंसान नही बचा है या तो उसका सर्वत्र विनाश हुआ है या फिर वह अनेको रोगों से पीड़ित होकर ईश्वर से प्राण हर लेने की गुहार लगा रहा है। यह सब उस इंसान के ऊपर गुजर रहा है जो झूठ, अधर्म असत्य का साथ देकर स्वयं को विनाश के मार्ग पर पहुचा है। अधर्म का चुनाव कर जो इंसान के द्वारा बनाई गई उसकी समस्त व्यवस्था परिवार में है। वह धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है परन्तु आज के कलयुग में बुद्धजीवी इंसान सब कुछ होते देख भी भगवान से नही डर रहा है। वह एक दूसरे की ख्याति, धन, सुख, संवृद्धि को देखकर स्वयं को बढ़ाने के चक्कर मे अधर्म व असत्य के पथ पर चल रहा है जो कि उसकी असफलता का कारण है बढ़ने के स्थान पर इस प्रकार के इंसान का दिन प्रति दिन पतन हो रहा है परन्तु उसे अहसास कदापि नही हो रहा है कि ईश्वर ने उसे जन्म धर्म की राह पर चलकर मानव कल्याण के लिया दिया है।
लेखक – राजू प्रसाद श्रीवास्तव

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