कुशीनगर :: राहुल की मेहनत लाएगी रंग, भाजपा की बिदाई तय – रमा

🟣 राहुल और प्रियंका छोटे थे इस लिए चार बार टिकट कटने के बाद भी सोनिया से नहीं की शिकायत।
🟣 कांग्रेस मेरी आत्मा में बसी है – रमा।
आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव, कुशीनगर केसरी, कुशीनगर। एक ऐसी महिला है जो कांग्रेस से न सिर्फ निष्ठा है बल्कि यह विश्वास भी है कि आने वाला दिन कांग्रेस का है। वह कहती है कि जिस तरह से राहुल गांधी जनता के बीच पहुंचकर भाजपा की कथनी और करनी का पोल खोल रहे हैं। उससे मोदी सरकार घबड़ा गयी है और उनकी घबड़ाहट यह इशारा करती है कि अबकी बार भाजपा की बिदाई तय है। तीन दशक से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर कांग्रेस को डूबती नांव मानकर जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता कांग्रेस से किनारा कस रहे हैं। वहीं एक ऐसी शक्स है, जिनका एक-दो नहीं बल्कि तीन बार टिकट कटने के बावजूद बिना किसी शिकवा शिकायत के आज भी कहती है कि कांग्रेस उनकी आत्मा में बसी है। उनका कहना है कि राहुल और प्रियंका छोटे थे इसलिए चार बार टिकट कटने के बावजूद वह कभी सोनिया गांधी से इसकी शिकायत नहीं की।
हम बात कर रहे हैं भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे स्व. राजमंगल पाण्डेय की पत्नी रमा पाण्डेय की। वहीं रमा पाण्डेय के मुताबिक उन्हें वर्ष 1993 में कसया विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिला था लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1994 में बतौर प्रधानमंत्री पीबी नरसिंहा राव ने रमा पाण्डेय को राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया, लेकिन रमा ने राज्यसभा में जाने के बजाय बतौर कार्यकर्ता पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने का निर्णय लिया।
इस दौरान रमा पाण्डेय का कहना है कि कांग्रेस के प्रति बचपन से निष्ठा रही लेकिन राजमंगल पाण्डेय से विवाह के उपरांत का कांग्रेस से गहरी आस्था जुड़ गयी। उन्होंने कहा कि वह जिला कमेटी से लगायत प्रदेश व राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी में कार्य करने के बाद वर्ष 1995 में सोनिया गांधी के आफिस से जुड़कर काम किया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान वह सोनिया गांधी के संपर्क में रही, उनके करीब आने के बाद यह महसुस हुआ कि सोनिया मैडम अत्यंत संवेदनशील, संघर्षशील असाधारण महिला है। पार्टी के प्रति उनका समर्पण का भाव कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
रमा पाण्डेय ने बताया कि सोनिया गांधी ने उन्हे चार लोकसभा का टिकट दिया था लेकिन कुछ स्वार्थी नेताओं ने अपने हित में उनका टिकट काट दिया। इस दौरान राहुल और प्रियंका छोटे थे। पार्टी के साथ-साथ राहुल और प्रियंका की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सोनिया मैडम के कंधों पर थी। इसलिए पार्टी के स्वार्थपरक नेताओं द्वारा बार-बार टिकट काटने के बावजूद उन्होंने कभी सोनिया गांधी से इसकी शिकायत नही की।
वहीं रमा का कहना है कि वर्ष 1995 में स्व. पाण्डेय जी की मृत्यु के पश्चात अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें बुलाया और कहा कि मैं आपके साथ काम करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि अटल जी ने उन्हें जब राज्यसभा का आफर दिया तो उन्होंने अटल जी के बड़प्पन के आगे नतमस्तक होते हुए उस आफर को ठुकरा दिया। इसके पीछे वजह यह है कि सोनिया गांधी न्यायप्रिय व संघर्षशील महिला है जो कांग्रेस के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, उन्हें किसी भी हालत में नहीं छोड़ सकती।
वहीं रमा पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं ने अपने लाभ के लिए कांग्रेस को अन्दर ही अन्दर खोखला बना दिया है। हमारे नेता राहुल गांधी बिखरी हुई कांग्रेस को जोडने मे लगे है उनके मेहनत का नतीजा है कि कांग्रेस के प्रति आम जनमानस का रुझान बढ़ रहा है। वह भी संगठन में बिना किसी पद पर रहते हुए बिना टिकट की चाह, संगठन को मजबूत करना चाहती हूं।