कुशीनगर :: निदेशक के बर्खास्तगी के बाद कूटरचित दस्तावेज के सहारे आज भी बने बैठे हैं शिक्षक

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🔴 फर्जी डिग्री पर बर्खास्त शिक्षक कर रहे फर्जी तरीके से नौकरी।
🔵 सभी बर्खास्त शिक्षक एरियर के रूप मे निकाल चुके है लाखों लाख रुपये।

आदित्य प्रकाश, कुशीनगर केसरी, कुशीनगर। जिले के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक जांच में बीएड की डिग्री फर्जी पाये जाने के बाद बर्खास्त हुए आज भी न सिर्फ फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे हैं बल्कि प्रति माह लाखों रुपये वेतन और लाखों-लाख रुपये एरियर का भुगतान लेकर सरकार को चूना लगाने में लगे हुए हैं। यह सब कुछ विभाग के जिम्मेदारों की मिलीभगत से हो रहा है। बता दें जिले में ऐसे आधा दर्जन फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक है जिनकी पांच वर्ष पूर्व या उससे पहले सेवा समाप्त कर दी गयी है लेकिन कुटरचित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार कर आज भी नौकरी में बने हुए है। लखनऊ की एक संस्था इन शिक्षकों के खिलाफ जनहित में याचिका दाखिल करने की तैयारी में है।
बताते चलें कि कुशीनगर जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में तकरीबन पांच वर्ष पूर्व बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले करीब आधा दर्जन शिक्षकों के खिलाफ हुई बर्खास्तगी की कार्यवाही बावजूद वह सभी शिक्षक कूटरचित दस्तावेज तैयार कर आज भी नौकरी कर रहे हैं। यहां बताना जरूरी है कि तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित टीम ने गहन जांच कर जिले के आधा दर्जन शिक्षकों की फर्जी डिग्री का खुलासा किया था। जिसके बाद निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने इन शिक्षकों की सुनवाई करने के बाद बर्खास्तगी की कार्यवाही की थी। वहीं सूत्र बताते हैं कि बाद में इन शिक्षकों ने कुटरचित दस्तावेज तैयार कर ऊपर से लेकर नीचे तक के जिम्मेदारों को न सिर्फ मैनेज करके नौकरी कर रहे हैं बल्कि बर्खास्तगी के बाद ब्रेक हुई नौकरी को रेगुलर दिखाकर किसी ने बीस लाख तो किसी ने तीस लाख रुपये एरियर निकालकर सरकार को चूना भी लगा चुके है।
यहां कहना ना होगा कि वर्ष 2020 में शासन ने जनपद में संचालित एडेड माध्यमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करने का निर्देश दिया था। बताया जाता है कि उप्र शासन के निर्देश पर तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गयी। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जांच समिति ने शिक्षक व शिक्षिकाओं के प्रमाण पत्रों का बोर्ड व विश्वविद्यालय स्तर पर गहनता से जांच कराई। इसमें जनपद के अलग-अलग इंटरमीडिएट कालेज के आधा दर्जन शिक्षकों की बीएड की डिग्री फर्जी पाया गया। डीएम के निर्देश पर तत्कालीन डीआईओएस ने फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का वेतन रोककर संबंधित प्रबंधक के माध्यम से इन शिक्षकों के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया और विद्यालय के प्रबंधकों द्वारा उपलब्ध कराये गये सेवा समाप्ति के प्रस्ताव को अनुमोदित कर शासन को भेज दिया था।
आपको बता दें कि गठित टीम की जांच रिपोर्ट, तत्कालीन जिलाधिकारी की संस्तुति पत्र व तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुमोदन के बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पाण्डेय ने फर्जी शिक्षकों की सुनवाई किया। तत्पश्चात इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 16, 10 के तहत फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दिया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि बाद में इन शिक्षकों ने ऊपर से लेकर नीचे तक सभी जिम्मेदारों को मैनेज करके कुटरचित अभिलेख तैयार कर न सिर्फ अपनी बहाली करा लिए बल्कि बीच में ब्रेक हुई नौकरी को रेगुलर कर लाखों लाख रुपये के एरियर का भुगतान भी ले लिया है। इस खेल में कुशीनगर के विभाग – ए – जिम्मेदार व लिपिक की मिलीभगत भी बतायी जाती है। इनमे से एक शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके है और उच्च न्यायालय ने इनका पेंशन भी रोक दिया है। वहीं सूत्रों की माने तो भ्रष्टाचार पर कार्य करने वाली लखनऊ की एक संस्था इस मामले को लेकर जनहित में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है।
🔴 नोट – अगले अंक में पढे फर्जी शिक्षकों के खुलासा के साथ विस्तृत खबर….!

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